भारत में प्राचीन काल से ऐसी ढेरों परंपराएं चली आ रही हैं, जिनमें से कुछ का तो वैज्ञानिक वजूद है, लेकिन बहुत सी ऐसी परंपराएं भी हैं, जो केवल अंधविश्वास पर आधारित हैं, मगर फिर भी देश के अलग-अलग हिस्सों में लोग इसे ढोते आ रहे हैं। यहां हम आपका परिचय भारत की कुछ ऐसी ही दुर्लभ परंपराओं से करा रहे हैं, जिनके बारे में जानने के बाद संभवतः आपके पैरों तले जमीन ही खिसक जाए।
1-इनके लिए मौत खुशी और जन्म लाता है गम
जी हां, बिल्कुल सही पढ़ा अपने। जिप्सी नामक एक ऐसी जनजाति भारत में निवास करती है, जो उस मौत को खुशी का पल मानती है, जिससे कि पूरी दुनिया खौफ खाती है। उससे भी हैरान कर देने वाली बात ये है कि जिस जन्म के अवसर पर दुनियाभर में लोग खुशियां मानते हैं, उसी जन्म के अवसर पर इस जनजाति के लोग मातम मनाते हुए देखे जाते हैं।
2-अघोरी साधुओं का मनुष्यों के अवशेष को खाना
क्या कोई ऐसा कर सकता है? क्या कोई शवों के साथ संभोग भी कर सकता है? ये सवाल आपको बेतुके लग सकते हैं, मगर इनका जवाब हां है। जी हां, वाराणसी यानी कि बनारस में रहने वाले अघोरी साधु ऐसा ही करते हैं। घाटों पर अंत्येष्टि के बाद वे इंसानों के बचे अवशेषों को अपना आहार बनाने के साथ शवों के साथ संभोग तक करके गंदे लोगों में शुद्धता को ढूंढकर दुनिया का त्याग करने के अपने इरादे को मजबूत बनाते हैं।
3-बच्चों को मंदिर के छत से नीचे फेंकने की परंपरा
बच्चे तो मां-बाप को प्राणों से प्यारे होते हैं। ऐसे में भला कोई उन्हें मंदिर की छत से नीचे फेंकने की कैसे सोच सकता है? मगर भारत के कुछ बेहद दूरदराज के गांवों में ऐसी परंपरा वर्षों से चली आ रही हैं। यहां बच्चों को दीर्घायु होने के लिए मंदिर की छत से नीचे फेंक दिया जाता है। हालांकि, नीचे लोग खड़े रहते हैं बच्चों को लपकने के लिए।
4-सांप दूध नहीं पीता, फिर भी पिलाते हैं दूध
जी हां, यह सच है। सांप वास्तव में दूध तो पीता ही नहीं है। फिर भी इस देश में सांप को देवता तुल्य मान लिया गया है। यही वजह है कि प्राचीन काल से चली आ रही परंपरा का अनुसरण करते हुए आज भी बहुत सी स्त्रियां सांप को दूध पिलाती हुई दिख जाती हैं।
5-एक मतदाता के लिए जंगल में मतदान केंद्र
ताज्जुब तो हो ही रहा होगा इसे सुनकर, लेकिन ये सच्चाई है। वर्ष 2004 के बाद से यह परंपरा चली आ रही है। यह गुजरात के जूनागढ़ में गिर का जंगल है। भरतदास बापू नामक एक मतदाता यहां मतदान करते हैं। बीते लोकसभा चुनाव में भी उनके लिए केवल यहां मतदान केंद्र बना और उन्होंने मत डालकर यहां 100 फीसदी मतदान का रिकॉर्ड भी बनवाया।
6-इस गांव के लोग खुद को मानते हैं सिकंदर महान का वंशज
सिकंदर महान का नाम तो आपने सुना ही होगा। वही सिकंदर, जिसकी चाहत समूची दुनिया पर हुकूमत करने की थी, मगर जिसका विजय अभियान भारत आकर रुक गया था। हिमाचल प्रदेश में स्थित मलाना नामक एक गांव के लोग खुद को इसी सिकंदर का वंशज मानते हैं। यही नहीं, यहां की स्थानीय अदालत प्रणाली को देखकर भी आप दंग रह जाएंगे, क्योंकि यह भी प्राचीन ग्रीक प्रणाली को ही दर्शाती है।
7-युवा लड़कियों की मंदिरों में कौमार्य की नीलामी
यह परंपरा सुनने में जितनी अटपटी लग रही है, वास्तव में यह उससे भी अधिक शर्मनाक है। इसे देवदासी प्रथा के नाम से जाना जाता है, जो दक्षिण भारतीय राज्यों में प्राचीन काल से चली आ रही है। इसके तहत युवा लड़कियों को मंदिरों में समर्पित कर दिया जाता है। परंपरा के नाम पर यहां उनके कौमार्य की नीलामी की जाती है, जो कि आधुनिक भारत में किसी कलंक से कम नहीं है। यह बात जरूर है कि कर्नाटक में वर्ष 1982 में इस प्रथा को अवैध करार दिए जाने का ऐतिहासिक कदम उठाया गया था, पर आज भी दक्षिण भारत के कई राज्यों में ये बीच-बीच में सामने आते रहते हैं
8-महिलाओं के पैरों में बिछिया पहनने का प्रजनन प्रणाली से नाता
आपने देखा होगा कि भारत में अधिकतर विवाहित महिलाएं पैरों में बिछिया पहनी हुई नजर आती हैं। ऐसा वे यूं ही नहीं करतीं। इसके पीछे एक अनोखी मान्यता छिपी हुई है। पैरों में बिछिया पहनने की परंपरा के पीछे यह विश्वास छिपा है कि इससे तंत्रिका तंत्र पर दबाव पड़ने से प्रजनन प्रणाली और स्वास्थ्य का उत्तम संतुलन कायम रहता है।
इनमें से कई परंपराओं पर यकीन करना आसान तो नहीं, पर इन्हें झुठला भी नहीं सकते, क्योंकि हकीकत में ये आज भी प्रचलित हैं। बताएं इनमें से सबसे अजीबोगरीब परंपरा आपको कौन-सी लगी?