नई दिल्ली: लोकसभा चुनावों का परिणाम आया तो एक नाम लगातार गूंजता रहा और वो है मोदी लेकिन इसके अलावा एक और नाम की सबसे अधिक चर्चा हुई जिसने दक्षिण भारत की सियासत बदल दी| वो नाम है जगन मोहन रेड्डी जो कभी कांग्रेस के नेता थे लेकिन कांग्रेस ने उनका महत्व न समझ पार्टी से निकाल दिया और आज उसी नेता ने अपने राज्य आंध्रप्रदेश में कांग्रेस को शून्य कर दिया| जगह का ये सियासी सफ़र आसान नहीं है| कुछ इस प्लान के तहत उन्होंने किया काम|
पिता मुख्यमंत्री थे और जगन व्यापारी–
साल 1999 में एक नाम आंध्रप्रदेश में थोडा-थोडा चर्चित हुआ जगन मोहन रेड्डी जो कि उस समय के बड़े नेता वाईएस राज शेखर एड्डी के बेटे थे| पिता राजनीति करते थे और जगन धंधे में हाथ आजमा रहे थे| देखते ही देखते जगन ने इन्फ्रा, माइंस और एनर्जी के क्षेत्र में कारोबार को दिन दुगनी और रात चौगनी तरक्की की| साल 2004 में पिता राज शेखर रेड्डी आंध्रप्रदेश के सीएम बने और कांग्रेस ने उनका कद बढ़ गया| उसी साल 2004 में जगन कडप्पा लोकसभा सीट से खुद के लिए टिकट मांगने कांग्रेस के दरवाजे पर पहुचे लेकिन कांग्रेस ने साफ़ मना कर दिया| इस सीट से जगन के पिता सांसद थे लेकिन टिकट जगन के चाचा को दिया गया| इसके बाद साल 2009 में जब उनके पिता हेलिकोप्टर हादसे में मारे गए तो जगन यही से सांसद बने|
माँगा सीएम पद–
जगन ने पार्टी से खुद के लिए सीएम पद की मांग कि लेकिन इस बार भी पार्टी ने उन्हें निराश किया| उनके पिता कि सरकार में वित्तमंत्री रहे के रोसैया की ताजपोशी हो गई| जगन ने कांग्रेसी आलाकमान तक खूब दौड़धूप की लेकिन किसी दरवाज़े पर उनकी सुनवाई नहीं हुई| जगन जानते थे कि भले ही वो खुद बड़े नेता ना हों लेकिन उनके पिता की लोकप्रियता और मौत के बाद पैदा हुई सहानुभूति प्रभाव पैदा कर सकती है| जगन ने 2010 में एक यात्रा निकाली| इस यात्रा के दौरान वो उन परिवारों से मिले जिनके सदस्यों ने वाई एस राजशेखर रेड्डी की मौत के बाद या तो खुदकुशी कर ली थी, या उनकी सेहत बिगड़ गई थी| जगन लगातार लोगो के बीच जाकर उनकी सहानुभूति बटोर रहे थे| इसके साथ कांग्रेस के विधायक भी उनके समर्थन में थे| जगन की इस बढ़ती लोकप्रियता के चलते मुख्यमंत्री रोसैया का इस्तीफ़ा हो गया| उनकी जगह आये किरण कुमार रेड्डी जिन्होंने जगन कि इस यात्रा का विरोध किया| विरोध इतना बढ़ गया की जगन को पार्टी से जाने के लिए कह दिया गया और जगन चले भी गए| साल 2010 में उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी| लेकिन अगले साल यानी की साल 2011 में उन्होंने YSR कांग्रेस की स्थापना कि और इसके लिए काम करने लगे|
बने नेता विपक्ष–
जनता में उनको लेकर एक आकर्षण था| 2011 में जब कडप्पा लोकसभा सीट के लिए मतदान हुआ तो भारी अंतर के साथ उन्होंने जीत दर्ज कर ली| उनकी मां भी चुनाव जीतकर राज्य की विधानसभा में पहुंचने में कामयाब रहीं| साल 2014 में जब आंध्र की जनता ने विधानसभा चुनाव के लिए वोट डाला तो 175 में से 67 सीटें जगन की झोली में डालकर उन्हें नेता के तौर पर खुले दिल से मंज़ूर कर लिया| नेता विपक्ष के तौर पर जगन मोहन रेड्डी ने सरकार को मुश्किलों में डाले रखा| साल 2017 के अंत में उन्होंने 3 हज़ार किलोमीटर की प्रजा संकल्प यात्रा निकाली| एक साल से ज़्यादा चली इस यात्रा में जगन ने 125 विधानसभाओं में संपर्क किया और ज़बरदस्त माहौल खड़ा कर दिया|
जेल भी गए-
जगन ने कांग्रेस छोड़ी तो मुश्किलें बढने लगीं| साल 2011 में जन कडप्पा लोकसभा चुनाव हुए तो जगन ने अपनी सम्पत्ति 350 करोड़ रुपये बताई| इस पर सवाल उठे और टीडीपी के दो नेता और कांग्रेस के एक नेता ने याचिका लगाई| सीबीआई कि छानबीन हुई और साल 2012 में जगन मोहन रेड्डी गिरफ्तार कर लिए गए| साल 2013 में उन्हें जमानत मिली|
नहीं पड़ने दिया फीका–
जेल से आने के बाद भी जगन ने पार्टी कि छवि को फीका नहीं पड़ने दिया| वो लगातार लोगो से मिलते रहे| इसके साथ एक मजबूत विपक्ष के तौर पर लगातार नायडू सरकार को मुश्किलों में डालकर रखा|
कांग्रेस को शून्य किया–
साल 2019 में जब आंध्रप्रदेश में विधानसभा चुनाव हुए तो जगन की पार्टी ने 151 सीटें हासिल की और साथ में संसद में 22 सांसद भी भेजे| आज जगन के पास पूरा आंध्रप्रदेश है तो वही संसद में एक मजबूत दावेदारी भी| वो कांग्रेस जिसने कभी जगन को निकाल दिया था आज उसके एक भी विधायक आंध्रप्रदेश में नहीं हैं और ना ही लोकसभा में एक भी सांसद आंध्रप्रदेश से आ रहा है| ये कमाल है जगन का जिन्होंने उसी पार्टी को शून्य कर दिया जिसमे कभी उसे निकाला था|
जगन मोहन रेड्डी जैसे नेता जब मंच में आते हैं तो जनता उनके लिए पागल हो जाती है| जनता से कट चुके चंद्रबाबू नायडू जब कांग्रेस की झोली में आकर गिरे तो जगन मोहन रेड्डी ने हाल ही में मोदी से मुलाकात करके आंतरिक रूप से उन्हें समर्थन दे दिया|