भारत में एक कमाल के रेल मंत्री हुए थे। नाम था इनका मधु दंडवते। स्लीपर कोच में भी आज गद्दे देखने के लिए मिलते हैं। पहले ये नहीं हुआ करते थे। ये केवल एसी वाले कोच में होते थे। उन्होंने रेलवे के सफर को बदल कर रख दिया।
बार-बार जीतते रहे मधु दंडवते
मधु दंडवते ने आजादी के आंदोलन में भी भाग लिया था। उनकी पत्नी का नाम प्रमिला था। वे भी बढ़-चढ़कर इसमें हिस्सा लेती थीं। मधु पहली बार विधायक 1970 में बने थे। पश्चिमी महाराष्ट्र विधानसभा सीट से उन्हें जीत मिली थी। बाद में उन्होंने राजापुर क्षेत्र से चुनाव लड़ा। यह कोंकण इलाके की सीट थी। वर्ष 1971 से 1989 तक में उन्होंने 5 बार चुनाव में जीत दर्ज की।
इमरजेंसी का विरोध
दो बार उन्हें कैबिनेट मंत्री बनने का मौका मिला। इंदिरा गांधी ने 1975 में इमरजेंसी लगाई थी। बाकी विपक्षी नेताओं की तरह वे भी जेल गए थे। बेंगलुरु में उन्हें बंद किया गया था। साथ में अटल बिहारी वाजपेयी भी थे।
मोरारजी सरकार में बने थे रेल मंत्री
जनता पार्टी की सरकार में उन्हें मंत्री पद की जिम्मेदारी मिली थी। उस वक्त वे वीपी हाउस में रहते थे। उनका फ्लैट नंबर 403 था। उन्हें मंत्री पद की शपथ लेनी थी। यह संदेश लेकर कुछ लोग उनके पास पहुंचे थे। वे उस वक्त बाथरूम में कपड़े धो रहे थे। उन्हें बताया गया कि कुछ ही देर में शपथ ग्रहण होने वाला है। मधु दंडवते मंत्री बन गए। मोरारजी सरकार में उन्हें रेल मंत्री की भूमिका मिली थी।
सांसदों व विधायकों के लिए विशेष कोटा रेलवे में था,उन्होंने इसे खत्म किया
उन्होंने कई बड़े कदम उठाए। जॉर्ज फर्नांडिस (George Fernandes) की अगुवाई में एक चर्चित रेल हड़ताल हुई थी। यह वर्ष 1974 में हुई थी। इस दौरान कई कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया गया था। मधु दंडवते ने इन सभी को बहाल कर दिया। उन्होंने एक और बड़ा काम किया। सांसदों व विधायकों के लिए विशेष कोटा रेलवे में हुआ करता था। उन्होंने इसे खत्म करने का काम किया।
उन्होंने तब एक महत्वपूर्ण बात कही थी। उन्होंने रेलवे को बता दिया था कि उनके नाम पर किसी को प्राथमिकता न दी जाए। कोई उन्हें अपना दोस्त या रिश्तेदार बताए तो उनके आवेदन को प्राथमिकता अनुसार ठुकरा दिया जाए।
कोंकण रेलवे बॉन्ड जारी करवा दिए थे
रेल मंत्री के तौर पर मधु दंडवते ने एक बहुत बड़ा काम किया। कोंकण में रेल सपना हुआ करता था। हर कोई इसे असंभव कहता था। फिर भी उन्होंने इस काम को करवाया। तब वीपी सिंह की सरकार थी। मधु दंडवते तब वित्त मंत्री की जिम्मेदारी संभाल रहे थे। उन्होंने कोंकण रेलवे बॉन्ड जारी करवा दिए थे। पश्चिमी घाट में पहाड़ी में छेद किए जाने लगे।
स्वीडन से इसके लिए टनल बोरिंग मशीन आई थी। जॉर्ज फर्नांडिस तब रेल मंत्री थे। मधु दंडवते से उनकी अच्छी दोस्ती थी। कोंकण रेलवे के लिए खास तरह के चक्के बनवाए गए थे। कोंकण रेलवे का सपना उन्होंने पूरा करवा दिया।
ऑटो वाले ने मांगे 400 रुपये
मधु दंडवते एक बार मुंबई से लौटे थे। दिल्ली पहुंच गए। रात हो गई थी। निजी सचिव रामकृष्ण को उन्होंने फोन कर दिया था। उन्हें कह दिया था कि वे खुद से चले आएंगे। ड्राइवर को परेशान करने की जरूरत नहीं है। पालम हवाई अड्डे से बाहर निकले। एक ऑटो उन्होंने ले लिया। ऑटो वाले को कहा कि कृष्णमेनन मार्ग ले चलो। ऑटो वाला चल पड़ा। रास्ता उसे मिल नहीं रहा था। ऑटो वाले ने कह दिया कि वह 400 रुपये लेगा। उन्होंने भी कह दिया कि वे 400 रुपये दे देंगे।
आखिरकार जगह पर ऑटो वाले ने पहुंचा दिया। दंडवते ने कह दिया कि रुको पैसे भेज रहा हूं। अंदर से पीए आया। वह ऑटो वाले को 400 देने लगा। ऑटो वालों को पता चल गया था कि देश के वित्त मंत्री उसकी ऑटो में सवार हुए थे। अब उसने उनसे दोबारा मिलने की जिद की। आखिरकार दंडवते बाहर आए। ऑटो वाले ने बड़ी माफी मांगी। पैसा भी नहीं ले रहा था। फिर भी दंडवते अपनी बात पर अड़े हुए थे। उन्होंने कहा कि अब उसे 400 रुपये लेकर जाना ही पड़ेगा।
सुरेश प्रभु ने हराया
वर्ष 1996 में मधु दंडवते प्रधानमंत्री बन सकते थे। उनके नाम पर चर्चा हो रही थी। हालांकि, चुनाव में उन्हें हार मिली थी। हराया था उन्हें सुरेश प्रभु ने। वे शिवसेना में थे। सुरेश प्रभु रेल मंत्री भी बाद में बन गए। प्रधानमंत्री बनने में मधु दंडवते में ज्यादा रुचि नहीं ली। चुनाव वे हार गए थे।
उन्हें लगा कि सांसद तो है नहीं। ऐसे में प्रधानमंत्री बन कर क्या होगा। बाद में एचडी देवेगौड़ा प्रधानमंत्री बने थे। मधु दंडवते योजना आयोग के उपाध्यक्ष बना दिए गए थे।