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ये महिलाएं यकीन दिलाती हैं कि हम जल्द ही महामारी को हराएंगे

कोरोना वायरस का कहर इस वक्त सभी को परेशान कर रहा है। ऐसे में जो सबसे ज्यादा खतरे में हैं वो हमारे देश के वॉरियर्स है। दिन रात, सबकुछ भूल कर ये कोरोना वॉरियर्स अपनी जिंदगी दाव पर लगाकर आम जनता के लिए सेवा कर रहे हैं। ऐसे में आज हम आपको 2 महिलाओं की कहानी बताने जा रहे हैं, जिन्होंने लोगों की सेवा को अपना फर्ज समझ कर कितने बेहतरीन कदम उठाए हैं।

सबसे पहले गुजरात में वडोदरा के पास उंडेरा गांव की धारा बेन ठाकर की बताएंगे। ये महिला 6 महीने की गर्भवती हैं और बावजूद इसके हर रोज अपनी ड्यूटी पर आती है। दरअसल धारा बेन एम्बुलेंस-108 में ईएमटी (यानी इमर्जेंसी मेडिकल टेक्निशियन) के रूप में तैनात हैं। कोरोना महामारी के दिनों में भी वो बिना किसी तरह की छुट्टी लिए, पूरी निष्ठा के अपना काम कर रही हैं। वो कहती हैं कि अपने बच्चे के लिए स्वस्थ भारत बनाना चाहती हैं।

देश सेवा पहला कर्तव्य

उन्होंने देश सेवा को अपना पहला कर्तव्य माना और उसे पूरी तरह निभा रहे हैं। आमतौर पर 6 महीने की गर्भवती महिला छुट्टी पर जाती है और घर पर आराम करती है। ऐसे में जबकि कोरोना वायरस गर्भवती महिलाओं के लिए लालबत्ती के जैसा है। फिर भी धारा बेन कोरोना वॉरियर्स के रूप में अपना काम कर रही हैं। वो कहती हैं कि विपदा की इस घड़ी में हम देश के लिए खड़े नहीं रहेंगे, तो कौन होगा? 

धारा बेन कहती हैं कि मैंने भी देखा कि मेरे ही सामने अस्पताल में काम करते कई लोग कोरोना की चपेट में आ गए। मुझे ये देखकर दुख हुआ। इस कारण मुझे डर भी लगा। अपने इस बच्चे के लिए भी चिंतित हुई, जो अभी गर्भ में हैं। लेकिन सोच लिया है कि हम महामारी से निपटने में कामयाब होंगे। इसलिए, बिना अवकाश के ड्यूटी करती हूं।

नसरीन की भी है ऐसी ही कहानी

वहीं गुजरात के राजकोट में भी धारा बेन की तरह एक और महिला हैं जो अपने फर्ज के आगे अपनी संतान को दांव पर लगा रही है। यहां की एक महिला एएसआई भी इसी तरह अपना काम कर रही है। नसरीन जुनैद बेलीम नाम की एएसआई 6 महीना गर्भवती है। उसके बावजूद वो ऑन ड्यूटी रहती है। उनका परिवार इस वजह से काफी चिंतित भी है, पर नसरीन का हौंसला बरकरार है। शौहर ने उससे कहा कि छुट्टी ले लो तो नसरीन जुनैद बोलीं कि फर्ज पहले है, छुट्टी बाद में।

एएसआई नसरीन जुनैद बेलीम का फर्ज

नसरीन जुनैद बेलीम ने शौहर से ये भी कहा कि इस वक्त देश को मेरी जरूरत है। उन्होंने कहा कि पूरा देश कोरोना की महामारी से लड़ रहा है। ऐसे में हम कैसे ड्यूटी से ब्रेक ले सकते हैं। कोरोना से हालात बिगड़ने के कारण मेरे परिजन भी चिंतित हैं। उन्होंने कहा कि इन परिस्थितियों में कहीं मुझे कोरोना का संक्रमण न हो जाए ये डर मेरे परिवार के साथ-साथ मेरे साथी कर्मिचारियों को भी है। लेकिन मेरा मानना है कि, इन हालात में मेरी ड्यूटी ज्यादा जरूरी है और इसी वजह से सबके कहने के बावजूद मैंने अवकाश नहीं लिया। हालांकि, पूरा स्टाफ भी मेरी भावनाओं की कद्र कर पूरा सहयोग दे रहा है।

अपने पति के बारे में बताते हुए नसरीन ने कहा कि इस समय मैं राजकोट में ही हूं। घर पर हम दोनों ही हैं। वो घर के काम में मेरी मदद करते हैं। थाने तक पहुंचाने और लाने में भी वो मेरी पूरी मदद करते हैं। हालांकि, उन्होंने मुझे बिना सैलरी अवकाश लेने के लिए कहा था। लेकिन मैंने कहा कि डरने की कोई जरूरत नहीं है। हमारा डिपार्टमेंट हमारा पूरा ख्याल रखता है। तुम चिंता मत करो, मुझे कुछ नहीं होगा।

इन दोनों महिलाओं की कहानी पढ़कर यकीनन लगता है कि हमारे देश में जबतक ऐसे कोरोना वॉरियर्स है। उम्मीद हर वक्त बनी रहेगी कि इस महामारी को जल्द ही हम हराएंगे और फिर से हमारी सबकी जिंदगी वापिस पटरी पर लौटेगी।