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कांग्रेस मंत्रियों द्वारा हुए भ्रष्टाचार और घोटालों का यहाँ है पूरा पंचनामा

कांग्रेस ने पिछले 60 सालों तक देश को खूब लूटा है। कांग्रेस की सरकार के भ्रष्टाचार और घोटालों की सूची इतनी लंबी है कि ये कभी खत्म नहीं होती। कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए सरकार के कार्यकाल के दौरान तो हमेशा से ही किसी न किसी भ्रष्टाचार और घोटालों की खबरों में रही है। इस दौरान हर साल घोटालों की संख्या बढ़ती ही चली गई। ऐसा कहा जाता है कि अगर ये घोटाले न हुए होते तो भारत आज विश्व की महाशक्ति होता।

जीप खरीदी घोटाला (1948)

जैसा की आप सबको पता है कि आजादी के बाद कांग्रेस सरकार ने एक लंदन की कंपनी से 2000 जीप खरीदने को सौदा किया। हालाँकि सौदा 80 लाख रुपये का था। लेकिन हमें केवल 155 जीप ही मिल पाई। इस घोटाले में ब्रिटेन में मौजूद तत्कालीन भारत के उच्चायुक्त वी.के. कृष्ण मेनन का हाथ होने की बात सामने आई। लेकिन 1955 में केस बंद कर दिया गया। हालाँकि जल्द ही वी के मेनन नेहरु केबिनेट में शामिल हो गए।

साइकिल आयात घोटाला (1951)

तत्कालीन वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के सेकरेटरी एस.ए. वेंकटरमन ने एक कंपनी को साइकिल आयात कोटा के बदले में रिश्वत ली। हालाँकि इसके लिए उन्हें जेल भी जाना पड़ा, इस घोटाले में भी वसूली नहीं हुई।

नागरवाला स्कैंडल (1971)

सेना के पूर्व कैप्टेन रुस्तम सोहराब नागरवाला ने प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की आवाज़ की नकल करके संसद मार्ग में स्थित स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया की शाखा में फ़ोन किया और उससे 60 लाख रुपए निकलवाए । ये घोटाला तब खुला जब नागरवाला ने पैसा पाने के बाद टैक्सी वाले को कई सारे नोट दिए। इसमें एसबीआई के हैड कैशियर वेद प्रकाश मल्होत्रा को इस्तीफ़ा देना पड़ा था। और नागरवाला को पकड़ा गया और उन्हें जेल ले गया। हालाँकि उनकी जेल में ही मौत हो गई।

मारुति घोटाला (1973)

ईस्वी सन 1973 में सोनिया गांधी को मारुति टेक्निकल सर्विसेज़ प्राइवेट लि. का एमडी बनाया गया था, जोकि सोनिया के पास इसके लिए कोई भी ज़रूरी तकनीकी योग्यता नहीं थी।हालाँकि इस कंपनी को इंदिरा गाँधी की सरकार की ओर से टैक्स, फ़ंड और ज़मीन को लेकर कई सारी छूटें मिलीं थी। मगर कंपनी बाज़ार में उतारने लायक एक भी कार नहीं बना पायी और 1977 में यह कंपनी बंद कर दी।

बोफोर्स घोटाला (1986)

इस घोटाले में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी, हिंदुजा और कई अन्य बड़े नाम शामिल थे। यह घोटाला भारत को 155 मिमी फील्ड होवित्जर्स के साथ प्रदान करने के लिए एक बोली जीतने का था।

2 जी स्पेक्ट्रम घोटाला (2008)

भारत में भ्रष्टाचार और घोटालों  में  सबसे बड़ा  2 जी स्पेक्ट्रम घोटाला था। जिसमें दूरसंचार मंत्री ए. राजा पर निजी दूरसंचार कंपनियों को 2008 में बहुत सस्ते दरों पर 2 जी लाइसेंस जारी करने का आरोप लगाया था। और नियमों का पालन भी नहीं किया गया था, लाइसेंस जारी करते समय केवल पक्षपात किया गया था। इस घोटाले में 1.96 लाख करोड़ रुपये का घोटाला हुआ था। दरअसल सरकार ने 2001 में स्पेक्ट्रम लाइसेंस के लिए प्रवेश शुल्क रखा था। इस में दूरसंचार के बारे अनुभवहीन कंपनियों को लाइसेंस दिया गया था। भारत में 2001 में मोबाइल इस्तेमाल करने वाले 4 मिलियन थे जो 2008 में बढ़ोतरी करके 350 मिलियन तक पहुंच गये।

सत्यम घोटाला (2009)

यह घोटाला कॉरपोरेट दुनिया के सबसे बड़े घोटालों में से एक है, इसमें 14,000 करोड़ रुपये का घोटाला किया था। पूर्व चेयरमैन रामलिंगा राजू इस घोटाले में शामिल थे, हालाँकि इन्होने ही सब कुछ संभाला था। उसके पश्चात् उन्होंने 1.47 अरब अमेरिकी डॉलर के खाते को संदेह के कारण खारिज कर दिया था।

नेशनल हेराल्ड घोटाला (2011)

कांग्रेस सरकार के पैसे से एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL)नाम की कंपनी बनी थी। और यह कंपनी तीन अख़बार चलाती थी। नवजीवन, क़ौमी आवाज़ और नेशनल हेरल्ड। हालाँकि अप्रैल 2008 को ये सभी अख़बार बंद हो गए। उसके बाद मार्च 2011 में सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने ‘यंग इंडिया लिमिटेड’ नाम की कंपनी खोली, जिसमें दोनों की 38-38 % के भागीदार थे। कंपनी को खड़ा करने का मक़सद एजेएल मौजूद 90.21 करोड़ रुपए की सभी देनदारियां उतारना था। पार्टी ने हेरल्ड हाउस में एक करोड़ रुपया और लगाया जो किसी वक्त में एजेएल के पास होता था। इस मामले में सोनिया और राहुल के ख़िलाफ़ सुब्रमण्यम स्वामी अदालत भी गए और संपत्ति के बेजा इस्तेमाल का केस भी दर्ज कराया।

टाट्रा ट्रक घोटाला (2012)

वेक्ट्रा के अध्यक्ष रवि ऋषिफॉर्मर और सेना प्रमुख जनरल वी.के. सिंह के खिलाफ मनी लॉन्डरिंग प्रतिबंध अधिनियम के तहत केश दर्ज किया था। इसमें सेना के लिए 1,676 टाटा ट्रकों की खरीद के लिए 14 करोड़ रुपये की बड़ी रिश्वत दी गई थी।

हेलिकॉप्टर घोटाला (2012)

यह घोटाला भारत में रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार का बहुत बड़ा उदाहरण है जिसमें कई सारे राजनेता, भारतीय वायु सेना के चीफ एयर मार्शल एसपी त्यागी और हेलिकॉप्टर निर्माता अगस्टा वेस्टलैंड जैसे बड़े-बड़े अधिकारी शामिल थे। कंपनी ने 610 मिलियन आमेरिकी डॉलर के 12 हेलीकाप्टरों की आपूर्ति में एक अनुबंध पाने के लिए रिश्वत दी थी। इटली की किसी एक अदालत में 15 मार्च 2008 को प्रस्तुत एक नोट यह संकेत करता है कि कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी भी इस घोटाले में शामिल थीं।

आदर्श घोटाला (2012)

इस घोटाले में मुंबई की कोलाबा सोसायटी में 31 मंजिल इमारत में स्थित फ्लैटों को बाजार की कीमतों से कम कीमत पर बेचा गया था। इस सोसायटी को सैनिकों की विधवाओं और भारत के रक्षा मंत्रालय के कर्मियों के लिए बनाया गया था। हालाँकि इसमें महाराष्ट्र के तीन पूर्व मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख, सुशील कुमार शिंदे, और अशोक चव्हाण के खिलाफ आरोप लगाये गये थे। वैसे तो यह जमीन रक्षा विभाग की थी लेकिन इसे सोसायटी के लिये दी गई थी।

वाड्रा-डीएलएफ़ घोटाला (2012)

भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की पत्नी सोनिया गांधी और उनके दामाद रॉबर्ट वाड्रा पर रियल एस्टेट कंपनी डीएलएफ़ से 65 करोड़ का ब्याजमुक्त लोन लेने का आरोप लगा है।