भारतीय राजनीति ऐतिहासिक और दिलचस्प तथ्यों से भरी हुई है. आज की तारीख में घट रही हर राजनीतिक घटना का संबंध अतीत से किसी न किसी तरह से जुड़ा हुआ है. इन दिनों देश की राजनीति जम्मू कश्मीर को लेकर गर्म चल रही है. कश्मीर से अनुच्छेद 370 की समाप्ति के बाद केंद्र सरकार कह रही है कि वहां माहौल सामान्य है जबकि कश्मीर से जुड़े नेता कह रहे हैं कि यहां पर आतंक और भय का माहौल है.
हिरासत में फारुक अब्दुल्ला
इसी दरम्यान कहानी में नया मोड़ यह आया कि जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व केंद्रीय मंत्री Farooq Abdullah को हिरासत में ले लिया गया है. केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार अब्दुल्ला की गिरफ्तारी के मुद्दे पर अलग अलग बयान दे रही थी लेकिन मामला जैसे ही सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, उसके बाद सरकार ने अपना रुख साफ करना शुरु कर दिया.
तमिलनाडु से आने वाले नेता और एमडीएमके पार्टी के प्रमुख वाइको की याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा तो बताया गया कि फारुक अब्दुल्ला को पब्लिक सेफ्टी एक्ट यानी पीएसए के तहत बंद किया गया है. Kashmiri Politician फारुक के पहले से जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती को भी हिरासत में लिया गया है.
इसके पूर्व पूर्व आईएएस अधिकारी और जम्मू कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट के संयोजक शाह फैसल को भी पीएसए के तहत ही गिरफ्तार कर लिया गया था. यह जानना आपके लिए बड़ा दिलचस्प होगा कि जिस पीएसए के तहत बंद किया गया है, वह कानून उनके पिता शेख अब्दुल्ला अपने कार्यकाल में लेकर आए थें. इससे भी दिलचस्प बात तो यह है कि शेख अब्दुल्ला के पोते उमर अब्दुल्ला कश्मीरी अवाम से यह वायदा लगातार करते आ रहे हैं कि अगर इस बार हमारी सरकार आई तो हम यह पब्लिक सेफ्टी एक्ट कानून को हमेशा के लिए .खत्म कर देंगे.
क्या है जम्मू कश्मीर का पब्लिक सेफ्टी एक्ट !
जम्मू कश्मीर Public safety act 1978 में आया था. उस दौर में जम्मू कश्मीर में लकड़ी की तस्करी काफी बड़े पैमाने पर हो रही थी. तस्करों के लिए कोई सख्त कानून इस प्रदेश में नहीं था, इस वजह से होता यह था कि ये लकड़ी तस्कर पकड़े जरुर जाते थें लेकिन जल्द ही छुटकर बाहर आ जाते थें और फिर से तस्करी में सक्रिय हो जाते थें. यह तत्कालीन जम्मू कश्मीर सरकार के लिए चुनौती की तरह बनता जा रहा था. उस दौर के मुख्यमंत्री फारुक अब्दुल्ला के पिता और उमर अब्दुल्ला के दादा शेख अब्दुल्ला थें.
फिर आया पब्लिक सेफ्टी कानून. इस कानून के अनुसार बिना किसी मुकदमे के आरोपी को दो साल तक जेल में रखने का प्रावधान है. शुूरुआती दौर में इस कानून की जद में सिर्फ लकड़ी तस्कर आते थें, बाद के दिनों में इसका दायरा बढ़ता गया. 1990 में तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद ने जम्मू कश्मीर में विवादास्पद Armed forces Special power act को लागू कर दिया. इस दौरान व्यापक पैमाने पर public safety act यानी पीएसए के तहत लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया.
वर्तमान समय में पीएसए का इस्तेमाल आतंकवादियों, अलगाववादियों और पत्थरबाजों के खिलाफ होता है. आपको बताते चलें कि 2016 मंे बुरहान वानी की हत्या के बाद कश्मीर घाटी में हुए उग्र प्रदर्शनों के दौरान 550 से ज्यादा लोगों को चिन्हित कर इस एक्ट के तहत हिरासत में ले लिया गया था.