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धार्मिक ही नहीं ये 5 भी थे भारत में 1857 के क्रांतिकारी विद्रोह के कारण

1857 की लड़ाई अंग्रेजो के खिलाफ बहुत बड़ी घटना थी। 1857 की क्रांति की शुरुआत 10 मई,  को मेरठ में हुई थी जो धीरे-धीरे कानपुर, झांसी,बरेली, अवध आदि स्थानों पर फैल गई थी। क्रांति की शुरुआत तो एक सैन्य विद्रोह के रूप में हुई, लेकिन समय के साथ उसका स्वरूप बदल कर अंग्रेजो के विरुद्ध एक विद्रोह के रूप फैल गया, इसको भारत का प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम कहा गया है।

राजनीतिक कारण

1857 की क्रांति का सबसे बड़ा कारण राजनीतिक कारण था ब्रिटिशो की ‘गोद निषेध प्रथा’ और ‘हड़प नीति’ थी। यह अंग्रेजों की विस्तार वादी नीति थी जो अंग्रेजो के गवर्नर जनरल लॉर्ड डलहौजी की देन थी। अंग्रेजो ने भारतीय राज्यों को अंग्रेजी साम्राज्य में मिलाने के लिए ये नियम बनाए।हड़प नीति के तहत अंग्रेजो ने सतारा, नागपुर और अन्य राज्यों को ब्रिटिश राज्य में मिला लिया था। इतना ही नहीं बाजीराव द्वितीय के दत्तक पुत्र नाना साहेब की अंग्रेजो ने पेंशन रोक दी जिससे भारतीय लोगो के दिलों में विद्रोह की भावना जाग उठी।

सामाजिक एवं धार्मिक कारण

ईस्वी सन 1850 में अंग्रेजो ने हिंदुओं के बांये गए उत्तराधिकार के कानून में बदलाव कर दिया और अब हुआ यह की केवल किस्चन धर्म अपनाने वाला हिंदू ही अपने पूर्वजों की संपत्ति में वारिस बन सकता था। इसके अलावा पूरे भारत में धर्म परिवर्तन की छूट मिल गई थी। लोगों को लगा कि अंग्रेज भारतीय लोगों धर्म परिवर्तन करवाना चाहती है। यहाँ तक की भारतीय समाज में सदियों से चली आ रही धार्मिक प्रथाओं को समाप्त करने पर हिन्दुओं के मन में असंतोष और विद्रोह पैदा हुआ।

सैन्य कारण

भारत में अंग्रेजी सेना में 87% से ज्यादा भारतीय जवान थे। उनको अंग्रेजी सैनिकों की तुलना में कमजोर माना जाता था। सेम पोजीसन के भारतीय सिपाही को अंग्रेजी सिपाही के मुकाबले कम वेतन दिया जाता था। यहाँ तक की भारतीय सिपाही को सूबेदार रैंक के ऊपर प्रोन्नति कभी नहीं मिल सकती थी। भारत में अंग्रेजी शासन के विस्तार के बाद भारतीय सैनिको की हालत बुरी तरह प्रभावित हुई। उनको अपने घरों से काफी दूर सेवा देने जाना पड़ता था।

1856 के तहत नियम जारी किया जिसके मुताबिक भारतीय सैनिकों को भारत के बाहर भी सेवा देनी पड़ सकती थी।बंगाल आर्मी में अवध के उच्च समुदाय के लोगों की भर्ती की गई थी। उनकी धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, उनका कालापानी की सजा को पार करना वर्जित था। भारतीय सैनिको को लार्ड कैनिंग के नियम से शक हुआ कि अंग्रेज सरकार उनलोगों धर्मपरिवर्तन करवाने पर तुली हुई है। नवाब की सेना को भंग कर दिया गया। उनके सिपाही बेरोजगार हो गए थे और अंग्रेजो के जानी दुश्मन बन गए।

आर्थिक कारण

अंग्रेजो के भारी टैक्स और राजस्व संग्रहण के नियमों के कारण किसान वर्गों में असंतोष पैदा हुआ था। इन सबमें से बहुत से किसान अंग्रेजो की टैक्स मांग को पूरा करने में असमर्थ थे यहाँ तक की वे किसान साहूकारों का कर्ज चुका नहीं पा रहे थे जिसके चलते अंत में किसानो को अपनी पुश्तैनी जमीन को गवाना पड़ता था। भारत में बड़ी संख्या में सिपाहियों का किसानों से गहरा संबंध था और इसलिए किसानों की पीड़ा से वे भी बहुत प्रभावित हुए।

तात्कालिक कारण

1857 की क्रांति तात्कालिक कारणों में बड़ी ही अफवाह फैलाई जाती थी उसमे से एक अफवाह यह भी थी कि 1853 की राइफल के कारतूस की खोल पर सूअर और गाय की खाल लगी हुई है। यह अफवाह हिन्दू और मुस्लिम दोनों धर्म के लोगों की भावनाओं को काफी ठेस पहुंचा रही थी। हालाँकि ये राइफलें 1853 के राइफल का हिस्सा थीं।

स्वतंत्रता संग्राम के समाप्त होने के बाद 1858 ई. में अंग्रेजो ने कानून पारित कर ईस्ट इंडिया कंपनी को समाप्त कर दिया, और उसके बाद भारत पर महारानी विक्टोरिया का शासन आ गया। इंग्लैंड में 1857 के अधिनियम के तहत भारतीय राज्य सचिव की स्थापना की गयी, जिसकी मदद के लिए 15 सदस्यों की मंत्रणा परिषद बनाई गई।