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आज सुबह स्कुल जाते वक़्त, इस बात पे यकीन हो गया, यह खुदा बड़ा ही खुदगर्ज है

आज सुबह स्कुल जाते वक़्त, इस बात पे यकीन हो गया कि यह खुदा बड़ा ही खुदगर्ज है |

मेरी बस में दो बहने आती है, बड़ी वाली महज १० साल की है और उससे छोटी वाली महज ५ साल की |दोनों एक दूसरे से बहुत प्रेम करती है, छोटी वाली तो अपने दीदी के बिना कही बैठती भी नहीं ,जगह नहीं मिलने पे खड़ी रहती है |
तो रोज की तरह दोनों आमने सामने बैठी थी और बस में जगह न होने के कारण मैं वही खड़ी थी |

अचानक से छोटी वाली रोने लगी, मैंने पूछा -‘क्या हुआ?’ उसकी दीदी ने कहा की उसको उसकी ‘माँ’ की याद आ रही है, वो इस दुनिया में नहीं है !
उस पल मैं क्या कहती ,क्या करती .. कुछ समझ में नहीं पा रही था |

मैं वही बैठ गई ,उसको कहने लगी “मत रो !! आप तो बहादुर बच्ची हो न और देखो तो आपकी मम्मी आप ही के साथ है , आप रोओगी तो वो भी रोयेंगी न….आपको अच्छा नहीं लगेगा न आपकी मम्मी भी रोयेंगी |
उसने कहा – ‘नहीं ‘,और उसने मुझसे वादा किया कि नहीं रोयेगी |

उसके बाद जब मैं खङी हुई,. तो अचानक से मेरी आँखों से भी आंसू बहने लगे और उस वक़्त मैं यह समझी की ” यह रब भी कितना खुदगर्ज है “

क्या मिला उसे उन बच्चियों की माँ छीन कर.?? उनकी ज़िंदगी शुरू होने से पहले ही उनकी जीवन से सबसे अहम् हिस्से को उसने अपने पास बुला लिया |

मैं सुनी थी की रब अच्छे लोगो को अपने पास इसलिए बुलाता है क्योकि उसको भी जरुरत है ,अच्छे साथ की , सच्चे साथ की |

लेकिन यह कैसी जरुरत जो उन्ही के बच्चो को दुखी कर दे | मैंने आज एक बात और समझी कि लोग बोलते है न “जो होता है अच्छे के लिए होता है “यह तो दुनिया का सबसे बड़ा झूठ है |उन बच्चियों के साथ जो हुआ उसमे तो मुझे सिर्फ दुःख ही दिखता है |
हे रब तूने उनसे उनकी माँ को छीन ही पर अब उन्हें बहुत खुशियां देना , उनकी माँ की कमी तो कोई पूरी नहीं कर सकता पर अब उन्हें ऐसी ज़िंदगी दे की उन्हें उनकी माँ की कमी महसूस ही न हो …!!!